भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आई छाक बुलाये स्याम / सूरदास

8 bytes added, 13:32, 19 अक्टूबर 2009
<poem>
आई छाक बुलाये स्याम।
 
यह सुनि सखा सभै जुरि आये, सुबल सुदामा अरु श्रीदाम॥
 
कमलपत्र दौना पलास के सब आगे धरि परसत जात।
 
ग्वालमंडली मध्यस्यामधन सब मिलि भोजन रुचिकर खात॥
 
ऐसौ भूखमांझ इह भौजन पठै दियौ करि जसुमति मात।
 
सूर, स्याम अपनो नहिं जैंवत, ग्वालन कर तें लै लै खात॥
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,311
edits