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{{KKRachna
|रचनाकार=जाँ निसार अख़्तर
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|नाम=घर-आँगन (रुबाइयाँ)
|रचनाकार=[[जाँ निसार अख़्तर]]
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* [[वो आयेंगे चादर तो बिछा दूँ कोरी / जाँ निसार अख़्तर]]
* [[आहट मेरे कदमों की जो सुन पाई है / जाँ निसार अख़्तर]]
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