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दीपावली / शिवप्रसाद जोशी

3 bytes removed, 07:03, 20 अक्टूबर 2009
<poem>
अब मैं तुम्हें नहीं छोडूंगी
काट लूंगी तुम्हारी उगुंलियाँउंगलियाँ
खा जाऊंगी तुम्हें
समझे तुम
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