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Kavita Kosh से
सादर नमस्कार अनिल जी
उजाले अपनी यादों के .... बशीर बद्र, किताब पूरी कर दी है | कृपया आप उसे जांच कर सुरक्षित कर दें ताकि उसमें किताब से बाहर की कोई और ग़ज़ल न जोड़ी जा सके ............
धन्यवाद
श्रद्धा
--[[सदस्य:Shrddha|Shrddha]] १५:३६, २१ अक्टूबर २००९ (UTC)