Changes

चरन कमल बंदौ हरिराई / सूरदास

12 bytes added, 09:48, 22 अक्टूबर 2009
[[Category:पद]]
<poem>
चरन कमल बंदौ हरिराई ।
 
जाकी कृपा पंगु गिरि लंघे,अंधे को सब कछु दरसाई ॥१॥
 
बहरो सुने मूक पुनि बोले,रंक चले सिर छत्र धराई ।
 
‘सूरदास’ स्वामी करुणामय, बारबार बंदौ तिहिं पाई ॥२॥
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,280
edits