भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
|रचनाकार=सूरदास
}}
[[Category:पद]]
  <poem>जो पै हरिहिंन हरिहिं न शस्त्र गहाऊं। तौ लाजौं गंगा जननी कौं सांतनु-सुतत सुतन कहाऊं॥ 
स्यंदन खंडि महारथ खंडौं, कपिध्वज सहित डुलाऊं।
 
इती न करौं सपथ मोहिं हरि की, छत्रिय गतिहिं न पाऊं॥
 
पांडव-दल सन्मुख ह्वै धाऊं सरिता रुधिर बहाऊं।
 
सूरदास, रणविजयसखा कौं जियत न पीठि दिखाऊं॥
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits