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तिहारो दरस मोहे भावे / सूरदास

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[[Category:पद]]
<poem>
तिहारो दरस मोहे भावे श्री यमुना जी ।
 
श्री गोकुल के निकट बहत हो, लहरन की छवि आवे ॥१॥
 
सुख देनी दुख हरणी श्री यमुना जी, जो जन प्रात उठ न्हावे ।
 
मदन मोहन जू की खरी प्यारी, पटरानी जू कहावें ॥२॥
 
वृन्दावन में रास रच्यो हे, मोहन मुरली बजावे ।
 
सूरदास प्रभु तिहारे मिलन को, वेद विमल जस गावें ॥३॥
</poem>
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