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{{KKRachna
|रचनाकार=शहरयार
}}
[[Category:ग़ज़ल]]<poem>बेताब हैं और इश्क़ का दावा नहीं हमको
आवारा हैं और दश्त का सौदा नहीं हमको

ग़ैरों की मोहब्बत पे यक़ीं आने लगा है
यारों से अगरचे कोई शिकवा नहीं हमको

नैरंगिए-दिल है कि तग़ाफुल का करिश्मा
क्या बात है जो मेरी तमन्ना नहीं हमको

या तेरे अलावा भी किसी शै की तलब है
या अपनी मोहब्बत पे भरोसा नहीं हमको

या तुम भी मदावाए-अलम कर नहीं सकते
या चारागरो फ़िक्रे-मुदावा नहीं हमको

यूँ बरहमिए-काकुले-इमरोज से खुश हैं
जैसे कि ख़्याले-रुख़े-फ़र्दा नहीं हमको</poem>
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