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क्लोन मानव / रमा द्विवेदी

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‘क्लोन’ बेबी “ईव” जबसे आया है,<br>
सारी दुनिया में तहलका मचाया है।<br>
उपलब्धि अच्छी है अगर सही इस्तेमाल हो,<br>
परन्तु मानव के गुण-रूप पर प्रश्न चिह्न लगाया है।<br><br>
इस भागम-भाग की ज़िन्दगी में,<br>
मानव का एक शरीर कम पड़ता है,<br>
अत: वो अपने “क्लोन” तैयार करायेगा,<br>
और फिर अपना हमशक्ल तैयार करायेगा।<br><br>
फिर न कोई असली होगा,<br>
और न कोई नकली होगा,<br>
क्योंकि वो असली का ही,<br>
हूबहू हमशक्ल होगा।<br><br>
“क्लोन” के कई फायदे हैं,<br>
किन्तु उसके कुछ कायदे हैं,<br>
जिसका “क्लोने” पैदा होगा,<br>
असली का मूल्य कम होगा।<br><br>
कभी वो असली,कभी लगेगा नकली,<br>
उसे देखकर खुद को भूल बैठोगे आप,<br>
और खुद को देखकर कह उठोगे,<br>
कहीं मैं नकली तो नहीं?<br>
काश! इन्दिरा गांधी का “क्लोन” होता,<br>
गांधी,शास्त्री और नेहरू का “क्लोन” होता,<br>
तब आज की राजनीति कुछ और होती?<br>
कम से कम देश की ऐसी दुर्दशा तो न होती।<br><br>
“क्लोन” का एक और फायदा है,<br>
अब कोई स्त्री विधवा न होगी,<br>
क्योंकि पति का हमशक्ल तो रहेगा ही,<br>
और वो असली का काम करेगा,<br>
सोचो कितनी सुन्दर होगी यह दुनिया?<br>
हर शख्स की कमी ‘क्लोन’ से भर लेगी यह दुनिया,<br>
जीवन-मरण का बंधन ही टूट जायेगा,<br>
क्योंकि मोक्ष का विभाग ही खत्म हो जायेगा।,<br><br>
“क्लोन से कई खतरे हैं,<br>
जैसे गलती करेगा “क्लोन”<br>
लेकिन पीटे आप जाओगे,<br>
क्या तब भी आप अपना “क्लोन” बनवाओगे???<br><br>
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