भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कल और आज / नागार्जुन

15 bytes removed, 16:38, 24 अक्टूबर 2009
और आज
ऊपर-ही-ऊपर तन गए हैं
तुम्‍हारे तम्हारे तंबू,
और आज
छमका रही है पावस रानी
और आज
आ गई वापस जान
दूब की झुलसी शिरायों शिराओं के अंदर,और आज बिदा विदा हुआ चुपचाप ग्रीष्‍मग्रीष्मसमेटकर अपने लाव-लश्‍कर।लश्कर।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,116
edits