भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

घिन तो नहीं आती है / नागार्जुन

No change in size, 16:52, 24 अक्टूबर 2009
कुली मज़दूर हैं
बोझा ढोते हैं , खींचते हैं ठेला
धूल धुआँ भाफ भाप से पड़ता है साबका
थके मांदे जहाँ तहाँ हो जाते हैं ढेर
सपने में भी सुनते हैं धरती की धड़कन
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,142
edits