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मुक्ति पर्व / आकांक्षा पारे

No change in size, 17:41, 24 अक्टूबर 2009
तमाम विशेषणों से नवाजी जाती
तुम्हारे चरण -कमलों
और मज़बूत मुट्ठी की मार से बचती
मुँह पर आँचल धरे तुम्हारे लिए
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