भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
"हाँ वो ही, वो ही जो
उस झरने के पास रहता है
वहाँ अपन दिन के वक्तवक़्त
गए थे न एक रोज़?
बाघ उधर ही तो रहता है
बाबा, उसके दो बच्चे बच्चे हैं
बाघिन सारा दिन पहरा देती है
बाघ या तो सोता है