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|रचनाकार=नागार्जुन
|संग्रह=हज़ार-हज़ार बाहों वाली / नागार्जुन
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<Poem>
मलाबार के खेतिहरों को अन्न चाहिए खाने को,
डंडपाणि को लठ्ठ चाहिए बिगड़ी बात बनाने को!
जंगल में जाकर देखा, नहीं एक भी बांस दिखा!
सभी कट गए सुना, देश को पुलिस रही सबक सिखा!