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{{KKRachna
|रचनाकार=तुलसीदास
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ते नर नरकरूप जीवत जग,
भव-भंजन पद बिमुख अभागी।
सठ, हठि पियत बिषय-बिष मॉंगी।
सूकर-स्वान-सृगाल-सरिस जन,
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