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{{KKRachna
|रचनाकार=तुलसीदास
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देव! दूसरो कौन दीनको दयालु।
सीलनिधान सुजान-सिरोमनि,
तुलसीदास भलो पोच रावरो,
नेकु निरखि कीजिये निहालु॥३॥
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