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{{KKRachna
|रचनाकार=तुलसीदास
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माधव! मो समान जग माहीं।
सब बिधि हीन मलीन दीन अति बिषय कोउ नाहीं॥१॥
सब प्रकार मैं कठिन मृदुल हरि दृढ़ बिचार जिय मोरे।
तुलसीदास प्रभु मोह सृंखला छुटिहि तुम्हारे छोरे॥५॥
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