भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
देखनेवालों तबस्सुम को करम मत समझो <br>
उंहें उन्हें तो देखनेवालों पे हँसी आती है <br><br>
चाँदनी रात मोहब्बत में हसीन थी "फ़ाकिर" <br>
अब तो बीमार उजालों पे हँसी आती है <br><br>