भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
|रचनाकार=काका हाथरसी
}}
{{KKCatKavita}}
[[Category:हास्य रस]]
<poem>
पार्टी बंदी हों जहाँ , घुसे अखाड़ेबाज़
मक्खी , मच्छर , गंदगी का रहता हो राज
का रहता हो राज , सड़क हों टूटी - फूटी
नगरपिता मदमस्त , छानते रहते बूटी
कहँ ‘ काका ' कविराय , नहीं वह नगरपालिका
बोर्ड लगा दो उसके ऊपर ‘ नरकपालिका '
</poem>