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मोटी पत्नी / काका हाथरसी

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|रचनाकार=काका हाथरसी
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[[Category:हास्य रस]]
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ढाई मन से कम नहीं, तौल सके तो तौल
 
किसी-किसी के भाग्य में, लिखी ठौस फ़ुटबौल
 
लिखी ठौस फ़ुटबौल, न करती घर का धंधा
 
आठ बज गये किंतु पलंग पर पड़ा पुलंदा
 
कहँ ‘ काका ' कविराय , खाय वह ठूँसमठूँसा
 
यदि ऊपर गिर पड़े, बना दे पति का भूसा
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