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|रचनाकार=काका हाथरसी
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[[Category:हास्य रस]]
<poem>भोलू तेली गाँव में, करै तेल की सेल <br>गली-गली फेरी करै, 'तेल लेऊ जी तेल' <br>'तेल लेऊ जी तेल', कड़कड़ी ऐसी बोली <br>बिजुरी तड़कै अथवा छूट रही हो गोली <br><br>कहँ काका कवि कछुक दिना सन्नाटौ छायौ एक साल तक तेली नहीं गाँव में आयो