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कैसे हम हुए आजाद तो देखा जगत ने एक नूतन रास्ताउन लाखों को सकते है बिसार,सैकड़ों सिजदे उसे, जिसने दिया इस पंथ का हमको पता,जबकि नफ़रत का ज़हर फैला हुआ था जातियों के बीच में,प्रेम पुश्तहा-पुश्त की ताक़त गया बलिदान से अपने जमाने धरती को बता;कर नमस्कारमानवों के शान्ति-सुख की खोज :::जो चले काफ़िलों में नेतृत्व करने मीलों के , लिएआसदेखता है एक टक जिसको सकल संसार, मेरा देश है।कोई उनको अपनाएगा बाहें पसार—:::जो खड़ा है तोड़ कारागार की दीवारभटक रहे अब भी सहते मानापमान, मेरा देश है।:::आज़ादी का दिन मना रहा हिन्दोस्तान।
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