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|रचनाकार=नज़ीर अकबराबादी
|संग्रह=नज़ीर ग्रन्थावली-2 / नज़ीर अकबराबादी
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<Poem>
उस ज़ुल्फ़ के फन्दे में यों कौन अटकता है
ज्यों चोर किसी जगह रस्से से लटकता है
यह कहके ’नज़ीर’ अपना सर गम से पटकता है
दिल बन्द हुआ यारो! देखो तो कहाँ जाकर
</poem>