भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

19 जनवरी 1990 की रात / अग्निशेखर

12 bytes added, 18:20, 31 अक्टूबर 2009
|संग्रह=मुझसे छीन ली गई मेरी नदी / अग्निशेखर
}}
{{KKCatKavita}}
<Poem>
घाव की तरह
छायाओं की तरह झाँकते हैं चेहरे हर तरफ़
फैल रहा है बर्फ़ानी ठंड में शोर
हमारी ःअड्डीयों हड्डीयों की सुरंग में घुसने को मचलता हुआ
गालियाँ, कोसने, धमकियाँ
कितना-कुछ सुन रहे हैं हम
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,393
edits