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अच्छा लगा / कुंवर नारायण

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|रचनाकार = कुंवर नारायण
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पार्क में बैठा रहा कुछ देर तक
 
अच्छा लगा,
 
पेड़ की छाया का सुख
 
अच्छा लगा,
 
डाल से पत्ता गिरा- पत्ते का मन,
 ''"अब चलूँ'' " सोचा, 
तो यह अच्छा लगा...
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