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{{KKRachna
| रचनाकार= अनूप सेठी
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::दृश्य
ग्लास टैंक में मछली
देखी हमने ग्लास टैंक में मछली
::दर्शन
मछली मर जाएगी
बूढ़ी हो गई बेचारी जी नहीं पाएगी
::दृश्य
स्टेशन पर औरत मैली—कुचैली
रुलाई बचपन की खोई हुई कड़ी थी
::दर्शन
औरत पागल थी
चलता रहता है घबराना क्या
::दृश्य और दर्शन के बाहर
बचा रहा जाता है बार बार हर बार बहुत कुछ
दहलाती दमकाती
बहुत बड़ी है.
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