भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
|रचनाकार=कुंवर नारायण
}}
{{KKCatKavita‎}}
<poem>
एक बार ख़बर उड़ी
 
कि कविता अब कविता नहीं रही
 
और यूँ फैली
 
कि कविता अब नहीं रही !
 
 
यक़ीन करनेवालों ने यक़ीन कर लिया
 
कि कविता मर गई,
 
लेकिन शक़ करने वालों ने शक़ किया
 
कि ऐसा हो ही नहीं सकता
 
और इस तरह बच गई कविता की जान
 
 
ऐसा पहली बार नहीं हुआ
 
कि यक़ीनों की जल्दबाज़ी से
 
महज़ एक शक़ ने बचा लिया हो
 
किसी बेगुनाह को ।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,461
edits