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प्रधान की अनिद्रा / अरुण कमल

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|रचनाकार=अरुण कमल
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जब अपने प्रधान विदेश गए
 
तो एक राजधानी के महापौर ने
 
एक भव्य समारोह में उन्हें नगर-कोष की
 
स्वर्ण-कुंजी भेंट की सम्मान में
 
अपने प्रधान रात भर सो नहीं पाए
 
यही सोचें यही सोचें कि कुंजी तो दी
 
पर यह तो बताया ही नहीं कि
 
खजाना है कहाँ?
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