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प्रधान और पुल / अरुण कमल

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|रचनाकार=अरुण कमल
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अपने प्रधान को नए बने पुल का
 
उद्घाटन करना था और जैसी प्रथा थी
 
पुल पर सबसे पहले उन्हीं को चलना था
 
प्रधान ने एक बार रस्ते को ताका
 
कुछ सोचा
 
कुछ भाँपा
 
और कहा-- भाइयो! लोगो! समझो उद्घाटन हो गया
 
और लौट गए
 
बात यह थी कि प्रधान को पुल पर भरोसा न था
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