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जीभ की गाथा / अरुण कमल

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दाँतों ने जीभ से कहा-- ढीठ, सम्भल कर रह
हम बत्तीस हैं और तू अकेली
फिर भी मैं रहूंगी
जब तक यह चोला है।
 
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