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इच्छा / अरुण कमल

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|संग्रह=पुतली में संसार / अरुण कमल
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मैं जब उठूँ तो भादों हो
 
पूरा चन्द्रमा उगा हो ताड़ के फल सा
 
गंगा भरी हों धरती के बराबर
 
खेत धान से धधाए
 
और हवा में तीज त्यौहार की गमक
 
इतना भरा हो संसार
 
कि जब मैं उठूँ तो चींटी भर जगह भी
 
खाली न हो ।
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