भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ज़ुर्म / अरुण कमल

2 bytes removed, 09:01, 5 नवम्बर 2009
खड़ा हो पाया था लाशों के बीच
::::दोस्तों के चेहरे पहचानता
 
वे आए
लाशों को लांघते
और कहा-- तुम्हारी वर्दी का एक बटन
::::::टूटा है
 
हाँ
मैंने माना
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits