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|संग्रह = सबूत / अरुण कमल
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जो आदमी दुख में है
:::वह बहुत बोलता है
:::बिना बात के बोलता है
वह कभी चुप्प और स्थिर बैठ नहीं सकता
ज़रा-सी हवा लगते फेंकता लपट
:::बकता है लगातार
:::ईंट के भट्ठे-सा धधकता
जो सुखी-सम्पन्न है
::सन्तुष्ट है
वह कम बोलता है
काम की बात बोलता है
जो जितना सुखी है उतना ही कम बोलता है
जो जितना ताकतवर है उतना ही कम
:::वह लगभग नहीं बोलता है
:::हाथ से इशारा करता है
:::ताकता है
:::और चुप्प रहता है
जिसके चलते चल रहा है युद्ध कट रहे हैं लोग
उसने कभी किसी बन्दूक की घोड़ी नहीं दाबी
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