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|रचनाकार=अली सरदार जाफ़री
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[[Category: शेर ]]
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तेरी दिलबरी का तुह्फ़ः, ये सितार:बार आँखें
मए-शौक़ से छलकती ख़ुशो-पुरख़ुमार आँखें