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सदियों के ये सोगवार चेहरे
ले जाके इन्हें कहाँ सजाएँ
ये भूक के शाहकार<ref>भूख की सर्वोत्तम कृति</ref> चेहरे
माज़ी के खण्डर की तरह दिलकश
ये शम्ए-सरे-मज़ार चेहरे
गुज़रे हैं निगाहो-दिल से होकर
हर तरह के बेशुमार चेहरे
नाक़ाबिले-इल्तिफ़ात<ref>उपेक्षा करने योग्य</ref> आँखें
नाक़ाबिले-ऐतिबार<ref>अविश्वासनीय</ref> चेहरे
पल भर में धुआँ-धुआँ मगर सब
पल भर में फ़क़त गुबार ग़ुबार चेहरे
पहने हैं नक़ाबे-पारसाई
जन्नत के कि़रायादार चेहरे
हँसते हुए नैज़ा-ओ-सिनाँ पर
वो शबनमे-नोके-ख़ार चेहरे
शो’लों के मिज़ाज-आशना हैं
बर्फ़ाब-से बेशरार चेहरे
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