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लौटती धूप / अवतार एनगिल

86 bytes added, 06:38, 7 नवम्बर 2009
{{KKRachna
|रचनाकार=अवतार एनगिल
|संग्रह=मनखान आएगा /अवतार एनगिल; तीन डग कविता /अवतार एनगिल
}}
{{KKCatKavita}}<poem>इन रतनारे पर्वतों पर
साँझ की धूप के नन्हें टुकड़े
वापिस सूर्य की तरफ
मैं मुक्त हो गया हूँ
मैं धूप हो गया हूँ
---सपना</poem>
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