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Kavita Kosh से
|रचनाकार=असद ज़ैदी
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आल इंडिया रेडियो के प्रोग्राम में
बात घरानों, शैलियों और बारीकियों की थी
नमूने के तौर पर कुछ टुकड़े भी सुनाए जा रहे थे
इतने गायकों के बीच दबे से खामोश बैठे एकमात्र वादक
उनके सीधेपन और ईमान पर :
इसी के ज़ोर पर तो वह बजा लेते हैं ऐसी मज़े की सारंगी !''
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