भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
कहा था किसने के अहद-ए-वफ़ा करो उससे <br>जो यूँ किया है तो फिर क्यूँ गिला करो उससे <br><br>
ये अह्ल-ए-बज़ तुनक हौसला सही फिर भी <br>ज़रा फ़साना-ए-दिल इब्तिदा करो उससे <br><br>
ये क्या के तुम ही ग़म-ए-हिज्र के फ़साने कहो <br>कभी तो उसके बहाने सुना करो उससे <br><br>
नसीब फिर कोई तक़्रीब-ए-क़र्ब हो के न हो <br>जो दिल में हों वही बातें किया करो उससे <br><br>
"फ़राज़" तर्क-ए-त'अल्लुक़ तो ख़ैर क्या होगा <br>यही बहुत है के कम कम मिला करो उससे <br><br>
</poem>