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बेल / त्रिलोचन

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{{KKRachna
|रचनाकार=त्रिलोचन
}}<poem>बेल-पत्र तिनपतिया ले कर भक्ति-भाव से
शिव मंदिर जाया करते हैं जन, स्तुति करने
वैद्यनाथ की जो तन मन के रोग निवारें
फल बेल का शरीरज पीड़ा हर लेता है
इस का वृक्ष बिना सेवा के हो जाता है
जहाँ उगेगा, वहाँ प्रदूषण नहीं रहेगा।
अगर दोष है तो इसमें काँटे हैं थोडे
जो काँटे हैं वे इसके रक्षक भी तो हैं।
गुण समूह ले कर यह भूरूट खड़ा हुआ है
एक दोष है क्या हित साधे बड़ा हुआ है।

26.10.2002</poem>
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