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[[Category:गज़ल]]
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वफ़ा के ख़्वाब मुहब्बत का आसरा ले जा
अगर चला है तो जो कुछ मुझे दिया ले जा
वफ़ा के ख़्वाब मुहब्बत का आसरा ले जा <br>मक़ाम-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ आ गया है फिर जानाँ अगर चला है ये ज़ख़्म मेरे सही तीर तो जो कुछ मुझे दिया उठा ले जा <br><br>
मक़ामयही है क़िस्मत-ए-सूदसहरा यही करम तेरा कि बूँद-ओबूँद अता कर घटा-ज़ियाँ आ गया है फिर जानाँ <br>ये ज़ख़्म मेरे सही तीर तो उठा घटा ले जा <br><br>
यही है क़िस्मतग़ुरूर-ए-सहरा यही करम तेरा <br>दोस्त से इतना भी दिलशिकस्ता न हो कि बूँदफिर उठ के सामने दामन-बूँद अता कर घटाए-घटा इल्तजा ले जा <br><br>
ग़ुरूर-ए-दोस्त से इतना भी दिलशिकस्ता न हो <br>फिर उठ के सामने दामन-ए-इल्तजा ले जा <br><br> नदामतें हों तो सर बार-ए-दोश होता है <br>"फ़राज़" जाँ के एवज़ आबरू बचा ले जा <br><br/poem>