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[[Category:ग़ज़ल]]
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जो चल सको तो कोई ऐसी चाल चल जाना
मुझे गुमाँ भी ना हो और तुम बदल जाना
जो चल सको तो कोई ऐसी चाल चल जाना<br>मुझे गुमाँ भी ना हो और तुम बदल जाना<br><br>ये शोलगी हो बदन की तो क्या किया जाये<br>सो लाजमी है तेरे पैरहन का जल जाना<br><br>तुम्हीं करो कोई दरमाँ, ये वक्त आ पहुँचा<br>कि अब तो चारागरों का भी हाथ मल जाना<br><br>अभी अभी जो जुदाई की शाम आई थी<br>हमें अजीब लगा ज़िन्दगी का ढल जाना<br><br>सजी सजाई हुई मौत ज़िन्दगी तो नहीं<br>मुअर्रिखों ने मकाबिर को भी महल जाना<br><br>ये क्या कि तू भी इसी साअते-जवाल में है<br>कि जिस तरह है सभी सूरजों को ढल जाना<br><br>हर इक इश्क के बाद और उसके इश्क के बाद<br>फ़राज़ इतना आसाँ भी ना था संभल जाना<br><br>
तुम्हीं करो कोई दरमाँ, ये वक्त आ पहुँचाकि अब तो चारागरों का भी हाथ मल जाना अभी अभी जो जुदाई की शाम आई थीहमें अजीब लगा ज़िन्दगी का ढल जाना सजी सजाई हुई मौत ज़िन्दगी तो नहींमुअर्रिखों ने मकाबिर को भी महल जाना ये क्या कि तू भी इसी साअते-जवाल में हैकि जिस तरह है सभी सूरजों को ढल जाना हर इक इश्क के बाद और उसके इश्क के बादफ़राज़ इतना आसाँ भी ना था संभल जाना '''शोलगी''' - अग्नि ज्वाला, '''मुअर्रिख''' - इतिहास कार<br>
'''मकाबिर''' - कब्र का बहुवचन, '''साअते-जवाल''' - ढलान का क्षण
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