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बन्धन / आभा बोधिसत्त्व

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हेनरी फ़ोर्ट ने कहा-
 
बन्धन मनुष्यता का कलंक है,
 
दादी ने कहा-
 
जो सह गया समझो लह गया,
 
बुआ ने किस्से सुनाएँ
 
मर्यादा पुरुषोत्तम राम और सीता के,
 
तो मां ने
 
नइहर और सासुर के गहनों से फ़ीस भरी
 
कभी दो दो रुपये तो
 
कभी पचास- पचास भी।
 
मैने बन्धन के बारे मे बहुत सोचा
 
फिर-फिर सोचा
 
मै जल्दी जल्दी एक नोट लिखती हूँ,
 
बेटा नीद मे बोलता है,
 
मां मुझे प्यास लगी है।
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