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नैरंगियाँ चमन की तिलिस्मे-फ़रेब हैं / आरज़ू लखनवी
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18:51, 9 नवम्बर 2009
|रचनाकार=आरज़ू लखनवी
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नैरंगियाँ चमन की तिलिस्मे-फ़रेब हैं।
अब तक वो चारासाज़िए-चश्मेकरम है याद।
फाहा वहाँ लगाते थे, चरका जहाँ न था॥
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