भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
|रचनाकार = आलोक धन्वा
}}
{{KKCatKavita}}<poem>
उतने सूर्यास्त के उतने आसमान
 
उनके उतने रंग
 
लम्बी सडकों पर शाम
 
धीरे बहुत धीरे छा रही शाम
 
होटलों के आसपास
 
खिली हुई रौशनी
 
लोगों की भीड़
 
दूर तक दिखाई देते उनके चेहरे
 
उनके कंधे जानी -पह्चानी आवाजें
 
कभी लिखेंगें कवि इसी देश में
 
इन्हें भी घटनाओं की तरह!
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits