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|संग्रह= सुनो कारीगर / उदय प्रकाश
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इतने घुप्प अंधेरे में
एक पीली पतंग
धीरे-धीरे
आकाश में चढ़ रही है.
किसी बच्चे की नींद में है
उसकी गड़ेरी
किसी माँ की लोरियों से
निकलती है डोर !
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