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|संग्रह=
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[[Category:ग़ज़ल]]{{KKCatGhazal}}<poem>अपनी रुसवाई तेरे नाम का चर्चा देखूँ <br>एक ज़रा शेर कहूँ और मैं क्या -क्या देखूँ <br><br>
नींद आ जाये तो क्या महफ़िलें बरपा देखूँ <br>आँख खुल जाये तो तन्हाई की सहर सहरा देखूँ <br><br>
शाम भी हो गई धुंधला धुँधला गई आँखें भी मेरी <br>भूलनेवाले मैं कब तक तेरा रस्ता देखूँ <br><br>
सब ज़िदें उस की मैं पूरी करूँ हर बात सुनूँ <br>एक बच्चे की तरह से उसे हँसता देखूँ <br><br>
मुझ पे छा जाये वो बरसात की ख़ुश्बू की तरह <br>अंग-अंग अपना उसी रुत में महकता देखूँ <br><br>
तू मेरी तरह से यक्ता है मगर मेरे हबीब <br>जी में आता है कोई और भी तुझ सा देखूँ <br><br>
मैं ने जिस लम्हे को पूजा है उसे बस एक बार <br>ख़्वाब बन कर तेरी आँखों में उतरता देखूँ <br><br>
तू मेरा कुछ नहीं लगता है मगर जान-ए-हयात <br>जाने क्यों तेरे लिये दिल को धड़कता देखूँ <br><br/poem>
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