भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
चुभते शूल से शब्द
किसी फूल से नाज़ुक एहसास को
मुरझा देने जाने पर मज़बूर कर देते हैं
और बाग़ में बचती हैं कुछ सूखी सी पत्तियां
और सोचता हुआ माली