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|रचनाकार=सौदा
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गर तुझमें है वफ़ा तो जफ़ाकार कौन है
दिलदार तू हुआ तो दिल-आज़ार कौन है
हर आन देखता हूँ मैं अपने सनम को शैख़
तेरे ख़ुदा का तालिबे-दीदार कौन है
</poem>