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आरती हरि श्री शाकुम्भरी अम्बा जी की आरती कीजो।<BR>ऐसो अद्भुत रूप हृदय धर लीजो शताक्षी दयालु की आरती कीजो।<BR>तुम परिपूर्ण आदि भवानी माँ।<BR>सब घट तुम आप बखानी माँ॥<BR>शाकुम्भरी अम्बाजी की आरती कीजो।<BR>तुम्हीं हो शाकुम्भरी, तुम ही हो शताक्षी माँ।<BR>शिव मूर्ति माया, तुम ही हो प्रकाशी माँ॥<BR>श्री शाकुम्भरी..<BR>नित जो नर-नारी अम्बे आरती गावे माँ।<BR>इच्छा पूरण कीजो, शाकुम्भरी दर्शन पावे माँ॥<BR>श्री शाकुम्भरी..<BR>जो नर आरती पढ़े पढ़ावे माँ<BR>जो नर आरती सुने सुनावे माँ<BR>बसे बैकुण्ठ शाकुम्भर दर्शन पावे,<BR>श्री शाकुम्भरी अम्बा जी की आरती कीजो