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हमारे घर आओ आजु प्रीतम प्यारे।
फूलन ही की स्ज सेज बिछाई, फूलन के चौबारे।
कोमल चरनन हित फूलन के रचि पाँवड़े सँवारे।
’हरीचंद’ मेरो मन फूल्यौ, आओ भँवर मतवारे॥
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